पूर्वी चंपारण/कटिहार: बिहार में विपक्ष लगातार स्वास्थ्य शिक्षा समेत अन्य विभागों में लापरवाही और भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा है तो दूसरी तरफ सत्ता पक्ष लगातार सुधार होने की। बिहार में हाल फ़िलहाल में स्वास्थ्य विभाग बड़ी लापरवाही सामने आई है। कहीं सर्दी और कफ की बीमारी पर डॉक्टर कुत्ते के काटने पर दी जाने वाली सुई मरीज को दे रहे हैं तो कहीं दवाएं कचरे में फेंकी जा रही है।
पहला मामला पूर्वी चंपारण का है जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कफ और सीने में दर्द की शिकायत पर पहुंचे मरीज को डॉक्टर ने एंटी रैबीज इंजेक्शन लिख दिया। मामले में मरीज राम किशुन राम ने बताया कि खांसी की वजह से सीने में दर्द थी और भूख नहीं लगने की बात कह हम डॉक्टर से दिखाने गए थे जिसके बाद डॉक्टर ने मुझे दो सुई लिख कर दी। मैंने एक दिन वह सुई ले भी ली और दूसरी बार जब सुई लेने पहुंचे तो अस्पताल के एक कर्मी ने पूछा कि कुत्ते ने काटा है क्या? मैंने कहा नहीं तो उसने कहा फिर कुत्ते काटने के बाद दिए जाने वाला इंजेक्शन क्यों ले रहे हैं। मरीज ने बताया कि डॉक्टर की इस लापरवाही से अब मैं परेशान हूं कि दिखाने कुछ गया था और डॉक्टर ने इलाज कुछ और ही कर दिया।
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खुले में फेंकी गई एक्सपायर्ड दवाएं
वहीं दूसरा मामला कटिहार का है जहां मरीजों को दिए जाने वाले भारी मात्र में एक्सपायर दवा कचरे की तरह खुले में फेंकी हुई मिली। दवाओं में कई तरह के टेबलेट, इंजेक्शन, कैन्युला, पट्टी समेत कई अन्य तरह की दवाएं हैं जो ऐसे ही कचरे की तरह फेंकी हुई है। दवा के रैपर को देखने के बाद पता चला कि ये दवाएं दो वर्ष पहले ही एक्सपायर हो चुकी हैं बावजूद इसके स्टॉक वेरिफिकेशन और डिस्पोजल नहीं किया गया और अब उन्हें ऐसे ही खुले में फेंक दिया गया। दवाएं खुले में फेंके जाने की खबर सामने आने के बाद पूरे इलाके में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की चर्चा शुरू हो गई।
इस मामले में सदर अस्पताल के उपाधीक्षक आशा कुमारी ने कहा कि दवाएं एक्सपायर्ड हैं और दवा स्टोर रूम के पास ही रखी गई है। स्टोर रूम में पर्याप्त जगह की कमी की वजह से एक्सपायर दवाओं का स्टॉक बाहर में रखा गया। इन दवाओं के उठाव और डिस्पोजल के लिए विभाग को कई बार पत्र लिखा जा चुका है लेकिन अब तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई है। सिविल सर्जन और डीआई के माध्यम से सिनर्जी एजेंसी आएगी और इन्हें भागलपुर ले जाकर डिस्पोज करेगी।
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